ऐसा ही हर घर में होता होगा!

अध्यापिका से नज़रें मिलाने की हिम्मत नहीं हुई हीरा की, लेकिन उनकी मौन स्वीकृति ने एक और ठप्पा लगा दिया कि सचमुच ऐसा ही हर घर में होता होगा।

लेकिन फिर भी

है चूल्हे भर आग मेरी झोली में
लेकिन, फिर भी, सूरज की आशा करती हूँ
देखो, मैं अब भी सपने बुनती हूँ

लागी छूटे ना

दीपक की याद तो बहुत आती, लेकिन यह दुआ करने में उसके होंठ कांपते थे कि दीपक लौट आये। दीपक के लौट आने के ख़याल से मालती डर क्यूँ रही थी?