एक अफ़सोस!

और फिर ‘फर्स्ट इम्प्रैशन इज़ द लास्ट इम्प्रैशन’, यह तो बड़ा ही जोख़िम वाला काम है। मेरी हथेलियाँ हलकी गीली सी होने लगी और मैंने गहरी साँस भरी। स्कूल आ गया था और मैं हर रोज़ की तरहअपने कार्यक्रम में व्यस्त हो गयी। दोस्तों से बातचीत, असेंबली…

पड़ोसी टिड्डा

इतनी ऊँचाई से एक बच्चा गिरा तो क्या-क्या नहीं हो सकता था? एक ज़ोरदार ‘धप्प’ की आवाज़ और उसके बाद तो कैसी-कैसी आवाज़ों के सिलसिले होते! मगर….

दिल ने दिल से क्या कहा

दिल किया बस यूँही सब ऐसे ही चलता रहे.. वो गाता रहे, बस, गाता रहे, लड़की सुनती रहे, सुनती रहे और सायकिल चलती रहे.. पर जनाब, सब कुछ चाहा हुआ ही हो जाए तो क्या कहने…