जीवन मेट्रिक्स

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You didn’t come here to make the choice. You have already made it. You are here to understand “why” you made it.

Matrix फ़िल्म का ये संवाद मुझे विचारमग्न कर देता है। हम दुनिया में आए। क्या ये हमारा चयन था? अगर हाँ, तो अब हम दुनिया में “क्यूँ” तलाश रहे हैं, यानि purpose या मक़सद तलाश रहे हैं?

ये बात अगर इसी सीक्वन्स में ना सोचकर रिवर्स में सोची जाए तो? यानि आप मक़सद ढूँढ रहे हैं, तो आप दरअसल चयनकर्ता हैं। कैसा पागलपन सा लग रहा है ये सोचना!

लेकिन क्या ही मज़ेदार बात है कि हम बहुधा इस “क्यूँ” को ढूँढ रहे होते हैं, लेकिन क्या ढूँढ पाते हैं? इस थकाऊ और अबूझ तलाश से अपने मन को भटकाते हैं। दुनिया में अपना relevance देखना शुरू करते हैं। शायद ये relevance हमें हमारे purpose की झलक दिखला दे। कुछ लोग त्रस्त होकर ये सोचना छोड़ भी देते हैं, जैसे कि मैं। मुझे लगता है कि मैं यहाँ किसी randomness के तहत आ गयी हूँ और अनुभवों से गुज़रना ही मेरा जीवन है।

ऐसा क्यूँ है? क्यूँ कुछ लोग मक़सद की तलाश छोड़ देते हैं? क्या वे मंदबुद्धि लोग पुरुषार्थ से कतराने वाले लोग हैं? Matrix फ़िल्म का एक और संवाद है, जो इस पलायन पर कुछ रोशनी डालता है- “we can never see past the choices we don’t understand.” हम्म, सच में, मुझे समझ नहीं आता कि चयन (इस लोक में आने का) ये ना होता तो क्या होता? इस लोक के परे क्या है? ये जानना अपने चयन के “क्यूँ” के लिए ज़रूरी नहीं है क्या? कौन है जो “क्यूँ” बिना इस जानकारी के पा जाता है? वो purpose ढूँढ लेता है या जो है उसे validate कर लेता है? क्या इन दोनों बातों में कोई फ़र्क़ नहीं है?

भला हो matrix फ़िल्म बनाने वालों का जो उन्होंने आगे ये संवाद भी लिखा- “choice is an illusion, created between those with power and those without power.” सीधा खेल आत्मा और परमात्मा के बीच। मैं यहाँ अपने चयन से नहीं आयी। किसी दूसरी ही महाशक्ति का मन था मुझे यहाँ भेजने का। उसका क्यूँ भी वही जाने, मुझे क्या। इसलिए purpose ना ढूँढना और ख़ुद को उस परम सत्ता के आगे insignificant मान लेना इतना बुरा भी नहीं।

आज लिखने को कुछ और नहीं था, तो ये लिख डाला। ये भी पता चला कि फ़िल्में देखकर सिर्फ़ टाइमपास होता है और कुछ नहीं। 😃😃😃🙏🙏🙏

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