आप यूँ फ़ासलों से गुज़रते रहे…

उसके मुँह से “क्या हुआ” यह सुनना भी इतना लज़ीज़ होता था कि जान बूझकर ख़ुद को चुटहिल कर लेने में भी एक लज्जत महसूस होती थी मुझे.

मन तरपत हरि दर्शन को आज

अरे छोड़ो, ऐसे कौन दर्शन देता है यार.. और हमने तो मांगे भी नहीं थे. हम तो बस गा रहे थे. हटो, अब जा रहे हैं मम्मी के पास शिक़ायत लगाने

चिन चिन चू

दैट ब्रिंग्स मी टू अनदर क्वेश्चन.

नाउ, हाउ डू आई एक्सप्लेन ‘सिर में गज-गज’ इन अंग्रेजी?

साइंस प्रैक्टिकल

जब मैं टू इन वन खोल रही थी तो मेरी दादी ने पूछा- आप का जोड़ा कि बाप का जोड़ा? यह उनका तरीका था मुझे एक कहानी याद दिलाने का. जिसका सार था कि जब अपने पैसों से खरीदी चीज होती है, तो इंसान उसको बहुत सम्हाल कर इस्तेमाल करता है.. लेकिन……