जय उज्जैन! जय महाकाल! जय दाल बाटी! -१

यहीं से घुमक्कड़ी यज्ञ में आहुतियाँ शुरू हो जाती हैं । पढ़ाई-लिखाई तो चलती ही रहती है, अब कॉलेज बंक करने की शुभ घड़ी आई है ।